Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र ने माटी से जोड़ा नाता |

    June 26, 2025

    सात शतकों वाले आठ टेस्ट मैच

    June 25, 2025

    जब एक टेस्ट में आठ शतक लगे!

    June 23, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    भारतीय PRESS
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Subscribe Tuesday, July 1
    • होम
    • समाचार
      • आर्थिक
      • अपराध
      • राजनीतिक
      • सामाजिक
    • लेखन
      • आलेख
      • चिंतन
      • कहानी
      • कविता
      • विश्लेषण
      • व्यंग
    • इल्मी-फिल्मी
      • इतिहास
      • कला
      • पुरस्कार
      • समीक्षा
      • धार्मिक संस्कृति
    • तंदुरुस्ती
      • खेल
      • खिलाड़ी
      • योग
    • तकनीकी
    • फोटो
    • वीडियो
    • हमारे बारे में
      • विचार
      • टीम
      • संपर्क
      • कंपनी प्रोफाइल
    • English
      • Art and Culture
      • Political
      • Religion
      • Social
    भारतीय PRESS
    Home»इल्मी-फिल्मी»मॉरीशस और फीजी
    इल्मी-फिल्मी

    मॉरीशस और फीजी

    Dr. Subhashini Lata KumarBy Dr. Subhashini Lata KumarJuly 18, 2024No Comments6 Mins Read4 Views
    Facebook Twitter Pinterest Telegram LinkedIn Tumblr Copy Link Email
    Follow Us
    Google News Flipboard
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email Copy Link

    मॉरीशस और फीजी : विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से

    प्रलेक, मुंबई ने अभी-अभी एक पुस्तक प्रकाशित की है। उसका शीर्षक है ‘मॉरीशस और फीजी: विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से’। इसके लेखक हैं कृपाशंकर चौबे जो हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में सुप्रतिष्ठित हैं। यह पुस्तक 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन और 2023 में फीजी में आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की गतिविधियों के साथ ही वहां के लोकरंग की विस्तृत जानकारी देती है। पुस्तक बेहद सहजता से पाठकों के अंतर्मन में दाखिल हो जाती है और आपको एक ऐसी ज्ञानवर्धक यात्रा पर ले जाती है जहाँ आप विश्व हिंदी सम्मेलन की व्यवस्था व उसके उद्देश्य को नजदीक से समझ पाते हैं और उन सम्मेलनों में हुई चर्चाओं, पारित प्रस्तावों, अनुशंसाओं और सुझावों से भी परिचित हो जाते हैं। इस पुस्तक से मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई और फीजी के नादी शहर के पर्यटन स्थलों का रोचक परिचय भी मिलता है।

    खिदिरपुर घाट, कोलकाता

    पुस्तक के ‘खिदिरपुर घाट से आप्रवासी घाट’ शीर्षक अध्याय में 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। भारत से गिरमिटिया मजदूरों के प्रस्थान के बारे में लेखक ने लिखा है, “कोलकाता में हुगली नदी के किनारे स्थित खिदिरपुर घाट से भारत के लाखों अनुबंधित मजदूर मॉरीशस, फीजी जैसे कई देशों में गए। इसलिए खिदिरपुर घाट को गिरमिटिया घाट कहा जाता है। इसी घाट से प्रवासी भारतीयों की दुःखद गिरमिट यात्रा का आरंभ हुआ और इस पुस्तक का आरंभ भी इस घाट के वर्णन से होता है। खिदिरपुर घाट में गिरमिटिया मज़दूरों के सम्मान में 2011 में जहाजरानी मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के सहयोग से एक स्मारक बना है जिसकी यात्रा लेखक ने स्वयं की और उस जगह से संबंधित जानकारियों को अपने लेखन में शामिल किया। कलकत्ता में बने इस स्मारक का वर्णन वे इन शब्दों में करते हैं, “स्मारक के ठीक पीछे बरगद का बूढ़ा पेड़ आप्रवासन की स्मृतियों को अपने अंग में दबाए निःशब्द खड़ा है।” कृपाशंकर चौबे ने जगह-जगह पर अपने अनुभवों को चित्रों और रोचक तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है जिससे पढ़ते समय सजीवता बनी रहती है और लेखक की स्मृतियों के साथ एक जुड़ाव महसूस होता हैं।
    लेखक की कलात्मक दृष्टि भी हमारे सामने उभरकर आती है जब वे मॉरीशस के आप्रवासी घाट का वर्णन करते हैं।
    यह पुस्तक विश्व हिंदी सम्मेलन का रचनात्मकता के साथ-साथ वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान निकलने वाले ‘हिंदी विश्व’ समाचार पत्र की दिलचस्प प्रक्रिया हमारे साथ साझा की है। इसके अलावा 11वें व 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को कृपाशंकर चौबे ने रेखांकित किया है। पुस्तक में लेखक ने मॉरीशस और फीजी में अपने प्रवास के दौरान जीवन प्रकरण से जुड़ी कई सच्ची घटनाओं को उकेरा है। स्पष्ट है कि ऐसे चित्र बड़े जीवंत बन पड़े हैं और लेखक ने वहाँ की संस्कृति को बेहतर रूप से हमारे सामने रखा है। इन रेखाचित्रों को पढ़कर मौसम, परिवेश, लोगों का रहन सहन, संस्कारों आदि की भारत के साथ तुलना की जा सकती है। इस तरह लेखक ने पुस्तक में मॉरीशस और फीजी की लोक संस्कृतियों का प्रासंगिक रूप दर्शाया है।

    ‘नागपुर से नादी’ अध्याय में लेखक ने 15 से 17 फरवरी 2023 तक फीजी गणराज्य में आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन को केंद्र में रखा है। वे लिखते हैं कि विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पारंपरिक स्वागत कार्यक्रम देर तक चला। फीजी के काईवीती आदिवासियों ने नैसर्गिक शक्तिओं का आह्वान किया। उस अह्वान में विश्व के सुख-शांति देने की कामना की गई। एक प्रकार का साधना क्रम है जिसमें सामूहिक रूप से प्रार्थना की जाती है। यह प्रकृति संरक्षण का सुन्दर विधान है, जो फीजी के पारंपरिक जीवन का अभिन्न अंग है। उद्घाटन समारोह में भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्य जयशंकर का नगोना से पारंपरिक स्वागत किया गया था।
    इस पुस्तक के अंतिम खंड में इन देशों के प्रमुख साहित्यकारों के साक्षात्कार भी सम्मिलित हैं। बहुचर्चित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ के उपन्यासकार रामदेव धुरंधर मॉरीशस के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। कृपाशंकर चौबे से संवाद के दौरान उपन्यासकार रामदेव धुरंधर ‘पथरीला सोना’ के सृजन के संबंध में कई रोचक जानकारी साझा करते हैं। फीजी हिंदी साहित्य के अंतर्गत प्रो. सुब्रमनी का नाम भी अग्रणी श्रेणी में लिया जाता है। प्रो. सुब्रमनी ने फीजी हिंदी में ‘डउका पुरान’ और ‘फीजी माँ-हजारों की माँ‘ जैसी औपन्यासिक कृतियों का सृजन कर अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त की है। उन्हें फीजी हिंदी साहित्य का अग्रदूत कहा जाता है। उनकी रचना प्रक्रिया पर प्रो. चौबे ने उनसे बातचीत की है।

    कृपाशंकर चौबे

    पुस्तक में कृपाशंकर चौबे ने मॉरीशस और फीजी के भारतवंशियों की पुरानी और नई पीढ़ी का बेहद सटीक शब्दचित्र भी खींचा है। मॉरीशस और फीजी के इतिहास, हिंदी साहित्य तथा पत्रकारिता की परंपरा की रोचक जानकारियों को लेखक ने क्रमिक रूप से ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है। इस प्रस्तुति में लेखक की शोधपरक दृष्टि का पता चलता है। इन देशों के नामकरण, राजनैतिक सत्ता, आर्थिक गतिविधियों, साहित्यिक विकास और हिंदी भाषा से जुड़ी गतिविधियों के द्वारा पाठक को दोनों देशों को करीब से जानने का अवसर मिलता है। पुस्तक में वर्तमान के साथ-साथ अतीत की घटनाओं का समावेश सुगमतापूर्वक किया गया है।
    इसीलिए आज की उपलब्धियों पर गौर करने से पहले लेखक ने अतीत की ओर झांका है जो पाठकों को वर्तमान की परिस्थितियों को समझने के लिए एक पृष्ठभूमि तैयार करता है कि आज की उन्नति के पीछे गिरमिटिया भारतवंशियों का खून पसीन और सोच है। लेखक गिरमिटियों के इतिहास को नमन करता है। नादी से नागपुर शीर्षक अध्याय में लेखक ने पं. तोताराम सनाढ्य की पुस्तक ‘फीजी में मेरे 21 वर्ष’ के सार को प्रस्तुत किया है जिसमें पं. तोताराम सनाढ्य द्वारा गिरमिट के मार्मिक अनुभव, औपनिवेशिक सरकार की हिंसा, गिरमिटिया मजदूरों के बीच नैतिक और धार्मिक मूल्यों का पतन, भारतीय महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार तथा मजदूरों की विवशता संबंधी अनुभव हर एक भारतीय के दिल को छू लेने वाला है।


    भारत से दूर बसे इन दोनों देशों में भारतवंशियों की अपनी जड़ों को लेकर पाई जाने वाली तड़प को कृपाशंकर चौबे ने अपनी यात्रा के दौरान देखा और महसूस किया। इसलिए वे मॉरीशस और फीजी को छोटा भारत मानते हैं। जड़ों से दूर जाकर और कई पीढ़ियों से अलग थलग रहते हुए इन भारतवंशियों की अपनी मातृभूमि भारत के लिए जो रागात्मकता है, उसने लेखक को कई स्तरों पर प्रभावित किया है। मॉरीशस और फीजी के भारतवंशियों को कृपाशंकर चौबे गिरमिटिया भारतवंशी पुकारते हैं। उन्होंने पुस्तक में मॉरीशस और फीजी द्वीप के लोक रंग और वहाँ की चुनौतियों का यथार्थ और सजीव चित्रण किया है। उन्होंने दोनों देशों की प्राकृतिक सुंदरता का सटीक शब्दचित्र पाठकों के समक्ष रखा है। उनका दोनों देशों का प्राकृतिक चित्रण इतना लुभावना है कि पाठक के मन में यह लोभ उत्पन्न होता है कि वे कभी जाकर इन देशों की यात्रा करें।
    मॉरीशस और फीजीः विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से, लेखक- कृपाशंकर चौबे, प्रकाशक-प्रलेक प्रकाशन, मुम्बई, प्रथम संस्करण-2024, पृष्ठ-112, कीमत-200 रुपए।
    (समीक्षक फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

    समीक्षक-डॉ. सुभाषिनी लता कुमार

    Follow on Google News Follow on Flipboard
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Email Copy Link
    Dr. Subhashini Lata Kumar

    Related Posts

    शाबाश जन प्रतिनिधि जी, शाबाश पायलटिंग पुलिस

    June 21, 2025

    मंगल और मांगलिक दोष

    June 21, 2025

    घोड़े पे हो के सवार चला है दूल्हा यार

    June 5, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    Demo
    Top Posts

    भारतीय पत्रकारिता महोत्सव

    June 24, 2024256 Views

    Power struggle or policy stagnation?

    August 14, 2024127 Views

    Dushasan

    June 16, 2024109 Views

    भारतीय PRESS

    June 1, 2024100 Views
    Don't Miss

    छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र ने माटी से जोड़ा नाता |

    June 26, 20252 Mins Read1 Views

    छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र ने माटी से जोड़ा नाता बड़े शौक से सुन रहा था…

    सात शतकों वाले आठ टेस्ट मैच

    June 25, 2025

    जब एक टेस्ट में आठ शतक लगे!

    June 23, 2025

    शाबाश जन प्रतिनिधि जी, शाबाश पायलटिंग पुलिस

    June 21, 2025
    Stay In Touch
    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from SmartMag about art & design.

    Demo
    About Us
    About Us

    भारतीय प्रेस – विचारो की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म है जो देश विदेश में रहने वालो के विचार लेखन के लिए अपनी जगह है। यहां न उम्र की सीमा है न जाति का बंधन है न ही लिंग भेद है, न धर्म का रोड़ा है।सबके हाथ में अगर कलम है तो उन्हें अभिव्यक्त होने का भी अधिकार है।

    Email Us: bharatiyapress@gmail.com
    Contact: +91 9109031157

    Facebook Instagram WhatsApp
    Our Picks

    छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र ने माटी से जोड़ा नाता |

    June 26, 2025

    सात शतकों वाले आठ टेस्ट मैच

    June 25, 2025

    जब एक टेस्ट में आठ शतक लगे!

    June 23, 2025
    Most Popular

    सोरेन का अनर्गल प्रलाप निंदनीय है

    June 30, 20240 Views

    पिता की अहमियत

    July 25, 20240 Views

    हरमनप्रीत होंगे खेल रत्न!

    August 15, 20240 Views
    • होम
    • समाचार
    • लेखन
    • इल्मी-फिल्मी
    • तंदुरुस्ती
    • तकनीकी
    • हमारे बारे में
    © 2025 Mitaan India Media Pvt. Ltd. | All Rights Reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.