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    महादेव की भक्ति में लीन इस्पात नगरी

    bharatiya press bureauBy bharatiya press bureauJuly 28, 2024Updated:July 28, 2024No Comments7 Mins Read9 Views
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    भिलाई में महादेव के भक्ति में लीन शिवभक्त: पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा शिवमहापुराण कथा का चौथा दिन… विस अध्यक्ष रमन सिंह समेत कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि हुए शामिल… पार्वती माता के क्रोध और महादेव और पार्वती की विवाह की कहानी

    भिलाई। दुर्ग जिले के जयंती स्टेडियम भिलाई में आयोजित पंडित प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन भी बरसते पानी में हजारों शिव भक्त बाबा के पंडाल में पहुंचे। शिवकथा के चौथे दिन विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह, लगातार तीसरे दिन सूबे के मुखिया विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय, लगातार दूसरे दिन दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव, भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव और उनकी माता, पूर्व विधायक अरुण वोरा, रिसाली मेयर शशि सिन्हा, ADGP ओपी पाल, जस्टिस पीपी साहू की धर्मपत्नी और माता, जेल DGP राजेश मिश्रा की धर्मपत्नी और माता, भाजपा-कांग्रेस के पार्षद, MIC मेंबर और तमाम अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए। पंडित प्रदीप मिश्रा ने सावन के शिवरात्रि जो 2 अगस्त है उस दिन महादेव की पूजा करने की विधि और समय बताया। इसके साथ ही उन्होंने माता पार्वती के क्रोध और शिव भगवान के साथ मंगल विवाह की कथा सुनाई। पूरा पंडाल हर-हर महादेव, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं जैसे जयकारों से गुंज उठा।

    भिलाई बाद मुंगेली और नवा रायपुर में होगी कथा

    कथा के अंत में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने छत्तीसगढ़ में होने वाली अगली दो कथाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 2 से 8 अगस्त तक मुंगेली के लोरमी में दोपहर 1 बजे से कथा होगी। उसके बाद 12 अगस्त से 16 अगस्त तक 5 दिवसीय कथा नया रायपुर में आयोजित होगी।

    “कुछ मेहनत आपकी बाकि कृपा भोले नाथ की…”

    पंडित मिश्रा ने भक्तों से कहा कि, सबसे पहले अपने दिमाग में एक बात को बैठा लो की भगवान को पाना हो या संसार में अपना नाम कमाने हो तो इन सब में अपना कर्म को सबसे पहले रखें, ऐसा नहीं है की आप दूकान में ताला लगा कर कथा में आ कर बैठ गए तो आपको सोने के अंडे मिल जाएंगे। शिव जी कहते है कि अपना कर्म सबसे पहले रखिए, अपने मेहनत को चार गुना बढ़ाओ तभी आगे बढ़ पाओगे, शिव महापुराण की कथा ये नहीं कहती की सिर्फ मंदिर में बैठ जाओ और अपना काम धाम छोड़ दो, मैंने पहले भी कसी कथा में ऐसा नहीं कहा की मंदिर में जा कर 2-4 घंटे बैठो। उन्होंने आगे कहा कि, “कुछ मेहनत आपकी बाकि कृपा भोले नाथ की।”

    “किसी के बुरा कहने से अपना पूरा दिन खराब न करें”

    शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा, अगर आपको किसी ने कुछ अपशब्द कह दिया या कुछ गलत कह दिया तो आप सोचते है कि, आपका पूरा दिन खराब हो गया, शिवमहापुराण की कथा कहती है जरा से किसी के एक शब्द पर आपका दिन खराब क्यों होगा, किसी के शब्दों से आपको अपना दिन क्यों खराब करना है। अगर आपके पास 86 हजार 400 रूपए है और उसमें से 10 रूपए किसी ने चुरा लिया, तो आपका दिमाग खराब हो गया, अब आप के पास से 86 हजार 390 रूपए बचे है क्या तुम उसको फेंक दोगे? नहीं न, उसी तरह किसी के कुछ कहने से अपना दिन खराब हो गया ऐसा नहीं सोचना चाहिए।

    “एक हाथ से भक्ति सनातन धर्म की पहचान नहीं”

    पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा, दुनिया में लोग कई चीजें दान करते है, कोई कपड़ा कोई, खाना, अगर आप कुछ दान नहीं कर पा रहे है या किसी को कुछ दे नहीं पा रहे है तो शिव कथा कहती है कि, एक मुस्कान अपने चेहरे में तो ला सकते है, उन्हें एक मुस्कान भेंट कर सकते है। उन्होंने कहा कि, जब भगवान ने शरीर पूरा दिया है तो आधी भक्ति क्यों? आधी भक्ति सनातन धर्म की पहचान नहीं है, एक हाथ से राम-राम बोलना या एक हाथ से भगवान की भक्ति करना हमारे सनातन धर्म की पहचान नहीं है। हमारे सनातन धर्म में एक हाथ का प्रयोग नहीं होता वो दूसरे धर्म में होता है, हमारे सनातन धर्म में दो हाथ से भक्ति होती है, आज कल पता नहीं कुछ युवा एक हाथ से अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते है, हमारे धर्म में दोनों हाथों से बड़े-बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है।सनातन की पहचान दोनों हाथ से है, यही हमारी संस्कृति और सभ्यता है। दोनों हाथ उठा कर शंकर भगवन की भक्ति करो और दोनों हाथ उठा कर बोलो हर-हर महादेव।

    “इस जन्म में क्रोध का नाता पिछले जन्म से…”

    पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि, जब पार्वती जी बाल अवस्था में थी तो उन्हें थोड़ी-थोड़ी चीजों में क्रोध आ जाता था, आस पास कोई सामग्री रखी हो तो वो फेंक देती थी, ये बड़ा चिंता का विषय बन गया। उन्होंने कहा कि, इसी तरह अगर किसी छोटे बच्चों को बहुत क्रोध आ रहा है, उसको समझाने के बाद के भी अगर बच्चा क्रोधित रहता है तो समझ लेना ये क्रोध आज का नहीं है, ये क्रोध पूर्वजन्म का है, पूर्वजन्म में जरूर ऐसा कुछ कर्म हुआ होगा जिस वजह से उसे इस जन्म में क्रोध आ रहा है। हिमालय के राजा हिमावत को कोई तोड़ नहीं पाया पर घर की दशा देखा कर वो टूट गए। उन्होंने तुमरुका जी से कहा, मुझे समझ नहीं आ रहा पार्वती कभी ठीक रहती है कभी छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने लगती है। तुमरुका जी ने कहा कि, देव ऋषि नारद ने आपकी बेटी की पत्रिका भाग्य बनाया उन्होंने क्या बताया की बेटी का भाग्य अच्छा है, तुमरुका जी ने हिमावत जी से कहा, जब भाग्य अच्छा है और आपकी बेटी इतना क्रोध कर रही है तो जरूर कुछ पूर्व समय का कारण होगा मैं आपकी बेटी का दर्शन करना चाहता हूं।

    “घर पर बच्चे अपने पिता का मुंह बना कर न करें स्वागत”

    पंडित मिश्रा ने कहा कि, कोई भी व्यक्ति हो कोई भी काम करता हो वो शेर होता है परन्तु वो व्यक्ति घर में आ कर हार जाता है। जब वो अपने बच्चे का ऐसा हाल में देखता है तो एक बाप रो देता है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने बच्चों को कहा कि, घर में जब भी आपका पिता वापस आए आप कुछ भी हालत हो मुहं बना कर न बैठे चेहरे में मुस्कान के साथ अपने पिता का स्वागत करें। उन्होंने कथा में आगे बताया कि, तुमरुका जी ने पार्वती जी को प्रणाम किया, तब हिमावत जी ने कहा तुम छोटी सी कन्या को प्रणाम कर रहे? तुमरुका जी ने कहा ये छोटी सी कन्या नहीं इस कन्या का जो पूर्वजन्म है मां सती का है जो अपने पिता के यज्ञ अग्नि में भस्म हो गई थी।माता पार्वती जो क्रोध कर रही है पूर्वजन्म में जब इनके पिता और परिवार वालों ने जो अपमान किया था, वो आज तक भूल नहीं पाई है इसलिए वो क्रोध करती है।

    सावन के शिवरात्रि में शिवलिंग पूजा करने का समय और विधि जानिए

    पंडित मिश्रा ने कथा में आगे बताया कि, हिमावत जी ने तुमरुका जी से कहा पार्वती जी का क्रोध कैसे शांत किया जाए? तुमरुका जी ने कहा की अगर पार्वती शिव की आराधना करें और श्रावण का महीने आ जाए और भूलवश भी शिवरात्रि पड़ जाएं और प्रथम पहर में पार्वती जी शिव जी की पूजा और आराधना करले तो जो भी पूर्वजन्म का अपमान है वो भूल जाएंगी, और भगवान शंकर के पूजन में लीन हो जाएंगी की महादेव उन्हें दर्शन देंगे। पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि, 72 साल के बाद इस विशेष सावन के शिवरात्रि में मिट्टी का पार्थिव लिंग बनाए और 2 अगस्त को प्रथम पहर शाम 7 बजे एक धतूरा के पीछे भाग में पीला चंदन और आगे के भाग पर लाल चंदन लगा कर महादेव को समर्पित करेंगे तो ये कह कर समर्पित करें की हमारे घर में जो कलेश है वो समाप्त करें और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं बोल महादेव को समर्पित करें उसका फल आपको जरुर मिलेगा। इसी के साथ शंकर जी का विसर्जन रात्रि को पूजा के बाद करना है। विसर्जन अपने घर के बहार तसले में भी कर सकते है। माता पार्वती के पूजा के बाद भगवान शंकर ने दर्शन दिया और कहा की पार्वती तू चिंता मत तू मेरी है तू मेरे ही शरण में आएगी। समय आता है भगवन शिव की स्तुति में डूबी माता पार्वती और शंकर भगवान का मंगल विवाह होता है और सुंदर भगवान गणेश जी का प्राकट्य होता है। इसी तरह आज की कथा संपन्न हुई।

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