नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है – ये गाना अमिताभ बच्चन की फिल्म नसीब का है। नसीब, जिंदगी और इम्तिहान तीनो शब्दो को अमिताभ बच्चन जितने अच्छे से जानते है उतना ही उन लोगो को जो सफल होने के बाद असफलता से जूझ रहे है उन्हें भी जानना चाहिए। गुमनाम लोग जो थोड़ी सी परेशानी में हिल जाते है उनके लिए एक जीता जागता उदाहरण है अमिताभ बच्चन। सफलता और असफलता के बाद कठिन मेहनत से अमिताभ बच्चन ने नया मुकाम बनाया है।जिस उम्र में लोग मेहनत करने से दूर होकर अकेलेपन की जिंदगी जीते है उस उम्र में अमिताभ बच्चन उदाहरण बन रहे है ये अपने आप मे एक मिसाल है। फिल्में, भारत के करोड़ो लोगो के लिए प्रेरणा होती है। रहन सहन, पहनावा, खान पान सभी प्रभावित होता है। नायक, एक प्रकार से उद्धरण होते है। अमिताभ बच्चन आये तो 1969 से थे। फिल्म थी “सात हिंदुस्तानी”। इस फिल्म को किसी ने नोटिस में नही लिया । उनके पहले तक औसत ऊँचाई 5 फुट 8- 9 इंच और सामान्यआवाज़ वाले नायक हुआ करते थे।राजकुमार, अपवाद थे। अमिताभ को देखकर “बांस नहीं चाहिए”,” इतनी मोटी आवाज़ का क्या काम” जैसी बाते अमिताभ को सुननी पड़ी थी। स्थिति तो ये भी आई कि उनको खलनायक की भूमिका भी “परवाना” में निभाना पड़ा था। शुक्र है कि जंजीर फिल्म उनके हाथ लगी और आपातकाल के दौरान एक नाराज़ युवक की व्यवस्था के विरुद्ध होने की आवश्यकता ने उनको बड़ा कलाकार बना दिया। वे फिल्मों में विविधता पूर्ण भूमिका अपनाना चाहते थे लेकिन भारत मे आप जिस भूमिका में पसंद किए जाते है उसकी पुनरावृत्ति मजबूरी हो जाती है। अमिताभ बच नही पाए और अंततः वे दर्शकों द्वारा खारिज़ कर दिए गए। फिल्मों से, राजनीति से, व्यापार से, हर जगह वे खारिज़ होते जा रहे थे। थक हार कर चरित्र भूमिका का ही विकल्प था और भरे मन से काम माँगने का साहस जुटाने के बाद वे “मोहब्बतें” में आये। बुद्धू बक्सा जिसे फिल्मों से ख़रीज़ कलाकारो के लिए स्वर्ग माना जाता था वहां “कौन बनेगा करोड़पति” लेकर अमिताभ क्या आये। लालच की दुनियां में क्रांति मच गई।देश भर के शार्ट कट में पैसा पाने के लिए लाइन लग गई। करोड़ो लोग टी वी के सामने बैठ पैसा कमाने वाले को देखने के लिए जुटे, लोकप्रियता अमिताभ के हिस्से में आगई। आज उनके वे 83वे जन्मदिन में कौन बनेगा करोड़पति के एपिसोड उनके भावुक होने का मेलो ड्रामा देखकर आंसू बहा सकते है। टीवी की दुनियां की लोकप्रियता ने अमिताभ को बड़े पर्दे पर बिग बी बना दिया। उनकी दूसरी पारी भी पहली पारी की तरह ही दौड़ रही है। पीकू, पा, नाबाद 104, पिंक, जैसी फिल्मों से वे लोगो के पसंदीदा चरित्र कलाकार बने है। ये उनकी मेहनत का परिणाम है। हिंदी फिल्मों में दिलीप कुमार को दोनो पारियों में शोहरत मिली थी लेकिन वे 70 साल के होते होते आराम मुद्रा में चले गए थे। उनसे 13 साल अधिक उम्र में भी तमाम बीमारियों के बावजूद भी अमिताभ लोकप्रियता के शिखर पर है। हम उम्र के साथ साथ मानसिक रूप से बूढ़े न हो ये सीख अमिताभ बच्चन जरूर देते है। अगर आप निजी जीवन मे नायक है तो महानायक बनने का अवसर जरूर खोजे।
Subscribe to Updates
Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.