शाबाश भावना वोहरा
छत्तीसगढ़ की विधानसभा में भाजपा की तेज तर्रार विधायक भावना बोहरा ने गलत साबित कर दिया कि वे महिला सम्मान की बड़ी पक्षधर है और महिला सशक्तिकरण के लिए किसी भी मंच पर आवाज बुलंद कर सकती है। कांग्रेस शासनकाल में उच्च न्यायालय के आदेश और विशाखा कमेटी के निर्णय पर अट्टहास करने वाले जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारी सहित मीडिया के बिकाऊ पत्रकार को जम कर तमाचा जड़ा है। विष्णु देव साय सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की भी यहां तारीफ करनी पड़ेगी जिन्होंने भरी विधानसभा में कांग्रेस के पुरानी सरकार के नुमाइंदों और बिकाऊ आई ए एस
अधिकारियों की उपस्थिति में स्वीकार किया है कि एक महिला को जन प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारियों सहित मीडिया ने भी सरे आम अपमानित किया, बिना किसी प्रमाण के लांक्षित किया। न्याय के लिए बनी विशाखा कमेटी के निर्णय को ताक पर रखा,।उच्च न्यायालय के निर्णय को दबा कर अन्याय की पराकाष्ठा पार की। ये तो गनीमत है कि महिला ने हार नहीं मानी अन्यथा इस बात की संभावना थी कि जिस महिला को विधान सभा में न्याय मिला वह जिंदा न होती।

घटना 2018की है शासकीय आर्युवेदिक महाविद्यालय का भ्रष्ट प्राचार्य के मामले में अनीता शर्मा द्वारा शिकायत किए जाने पर विशाखा कमेटी का गठन हुआ था। इस कमेटी में पीड़ित प्रोफेसर सरोज पराते भी थी।कमेटी ने जी आर चतुर्वेदी को दोषी मानते हुए कार्यवाही की अनुशंसा की थी। जी आर चतुर्वेदी ने एक अन्य पुरुष प्रोफेसर के साथ मिलकर सरोज पराते के खिलाफ बिना नाम पता के शिकायत कर यौन प्रताड़ना का बेनामी शिकायत पत्र पर कांग्रेस शासनकाल के स्वास्थ्य मंत्री डा शिव डहरिया के साथ मिलकर सरोज पराते के खिलाफ न केवल जांच करवाया बल्कि एक समाचार पत्र के पत्रकार को रिश्वत देकर प्रथम पृष्ठ में समाचार प्रकाशित करवा कर सरोज पराते को सार्वजनिक रूप से बदनाम कर डाला। इस खेल में स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्कालीन संचालक सहित अनेक अधिकारी शामिल थे।
विशाखा कमेटी ने जिस प्राचार्य जी आर चतुर्वेदी को स्थानांतरित करने और अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की थी उस फाइल को न केवल दबा दिया गया बल्कि इस जी आर चतुर्वेदी को रातों रात पदोन्नति देकर शासकीय आर्युवेदिक महाविद्यालय रायपुर का प्राचार्य बना दिया गया। पीड़ित सरोज पराते ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर न्याय पाया दोबारा विशाखा कमेटी गठित हुई(एक विषय पर दोबारा जांच, वाह रे कांग्रेसी सरकार)।इस अंतराल में आर्युवेदिक दवाई खरीदी में अनाप शनाप खरीदी का भ्रष्टाचार भी पनपा जिसके लिए जी आर चतुर्वेदी जिम्मेदार है।इस विषय पर विधायक भावना बोहरा से उम्मीद है कि इस मामले को भी स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में लाएंगी।

कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं के साथ कितना शोषण होता था इसका ये मामला जीता जागता उदाहरण है जिसमें पूरा स्वास्थ्य मंत्रालय एक निर्दोष महिला को बदनाम करने के सफल हो गया। आधी रात को कौन सा मंत्रालय खोल कर नैतिक रूप से पतित अधिकारी को प्रमोशन दिया जाता है? ये केवल कांग्रेस शासनकाल में संभव है।
विधान सभा में गंभीर मामले में दांत निपोरने वाले कांग्रेसियों की हालत देखने लायक थी जब नेता प्रतिपक्ष ने जानना चाहा कि घटना 2017की है क्या? जब पता चला कि सारा खेल कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल का है तो सांप सूंघ गया।
अब दूध का दूध पानी का पानी हो चुका है।तीन दिन के भीतर कार्यवाही की घोषणा हो चुकी है। विष्णु देव साय की सरकार को सुशासन का सरकार माना जाता है।इस बात का उल्लेख स्वय स्वास्थ्य मंत्री ने किया है। जी आर चतुर्वेदी को न केवल निलंबित किया जाना चाहिए बल्कि एक महिला के चरित्रहनन का गंभीर मामला मानते हुए एफ आई आर दर्ज करा तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। इस मामले में शांति किशोर मांझी (सेवा निवृत) को भी दोषी माना गया है उन्हें भी सह आरोपी मानते गिरफ़्तार किया जाना चाहिए। सरोज पराते आठ साल तक प्रताड़ना की शिकार हुई है।उन्हें ससम्मान आर्युवेदिक महाविद्यालय रायपुर में पदस्थ किया जाना चाहिए। साथ ही जी आर चतुर्वेदी के पूरे कार्यकाल में दवा खरीदी सहित तमाम अनियमितताओं की जांच होना चाहिए। जिस समाचार पत्र के पत्रकार में झूठ परोस कर एक महिला का मीडिया ट्रायल किया उसके भी खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना चाहिए।
भावना बोहरा स्वयं महिला सशक्तिकरण की प्रतीक है।उन्होंने महिला सम्मान के लिए प्रश्न के माध्यम से सार्वजनिक रूप से न्याय की मिसाल कायम की है। उन्हें बधाई