Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है

    October 11, 2025

    Warships to Be Named After Chhattisgarh’s Rivers

    October 6, 2025

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

    October 1, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    भारतीय PRESS
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Subscribe Tuesday, October 14
    • होम
    • समाचार
      • आर्थिक
      • अपराध
      • राजनीतिक
      • सामाजिक
    • लेखन
      • आलेख
      • चिंतन
      • कहानी
      • कविता
      • विश्लेषण
      • व्यंग
    • इल्मी-फिल्मी
      • इतिहास
      • कला
      • पुरस्कार
      • समीक्षा
      • धार्मिक संस्कृति
    • तंदुरुस्ती
      • खेल
      • खिलाड़ी
      • योग
    • तकनीकी
    • फोटो
    • वीडियो
    • हमारे बारे में
      • विचार
      • टीम
      • संपर्क
      • कंपनी प्रोफाइल
    • English
      • Art and Culture
      • Political
      • Religion
      • Social
    भारतीय PRESS
    Home»Featured»शहर के नायक – सदाबहार देव आनंद
    Featured

    शहर के नायक – सदाबहार देव आनंद

    Sanjay DubeyBy Sanjay DubeySeptember 26, 2024No Comments4 Mins Read3 Views
    Facebook Twitter Pinterest Telegram LinkedIn Tumblr Copy Link Email
    Follow Us
    Google News Flipboard
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email Copy Link

    शहर के नायक थे सदाबहार देव आनंद

    हिन्दू धर्म मे मान्यता है कि एक व्यक्ति का जीवन अमूमन सौ साल का होता है। इस निर्धारित उम्र में कितनी आयु जीता है और कैसे जीता है ये बात मायने रखती है। सुख- दुख, सफलता-असफलता को जीवन मे एक सिक्के के दो पहलू माने जाते है। सुख और सफलता के समय सामंजस्य बनाये रखना साथ ही दुख – असफलता में संतुलन बनाये रखना ही मायने रखता है। देव आनंद की “गाइड” जीवन दर्शन की एक सच्ची दास्तां थी। फिल्म उद्योग में एक कलाकार ऐसा रहा जिसने इस मापदंड को जीवन भर अपनाया। ये थे धर्म देव आनंद जो फिल्मों में आये तो देव आनंद हो गए। एवरग्रीन या सदाबहार शब्द देव आनंद का पर्याय रहा। मुझे अच्छे से याद है कि एक जमाने मे इंजीनियरिंग कॉलेज में सिविल ब्रांच को देवानंद ब्रांच कहा जाता था याने सदाबहार ब्रांच।आजकल कंप्यूटर साइंस सदाबहार है।
    उम्र के उस दौर में जब नैसर्गिक शरीर के अवयव साथ छोड़ते जाते है देव आनंद कृत्रिमता को बढ़ाते गए लेकिन वे जवान दिखने के कोई भी अवसर को जाने नही दिया।आज अगर देव आनंद शारीरिक रूप से जीवित रहते तो 101 साल के हो जाते। किसी कलाकार के उम्र के बजाय उसकी सक्रियता मायने रखती है। राजकपूर,राजकुमार, राजेन्द्र कुमार दिलीप कुमार जैसे स्थापित नायकों के रहते रहते देव आनंद ने अपनी अलग जगह बनाई। ये सभी नायक देह यष्टि औऱ देखने मे साधारण थे जबकि देव आनंद निहायत खूबसूरत थे। उनके केश विन्यास, चेहरे की बनावट, बखूब थी। न्यायालय को ये टिप्पणी करना पड़ा कि देव आनंद और काला शर्ट पहन कर सार्वजनिक स्थानों में न जाये।देव आनंद, भारतीय फिल्म के पहले नायक रहे जिनकी लोकप्रियता महिलाओं में बहुत थी जो आगे चलकर राजेश खन्ना को ही नसीब हुई।

    देव आनंद, उस युग के नायक थे जिस समय नायक फिल्म के निर्माण और निर्देशन में भी ध्यान रखा करते थे। देव आनंद के मित्र गुरुदत्त, ये काम शुरू ही कर चुके थे। “नवकेतन” देवआनंद के भाइयों साथ बनी प्रोडक्शन हाउस थी जिसने बेहतर फिल्मों के लिए सालो काम किया। 1948 में “हम एक है” फिल्म के साथ देव आंनद का नायकत्व शुरू हुआ और 1980 तक “लूटमार” तक जारी रहा। बाज़ी, टैक्सी ड्राइवर, मुनीम जी, हम दोनों, सी आई डी, पेइंग गेस्ट, काला पानी, गाइड(1965 की पहली रंगीन फिल्म) ज्वेल थीफ,जॉनी मेरा नाम, के एक दौर के बाद वे दूसरी पारी में अमीर गरीब, हरे राम हरे कृष्ण, तेरे मेरे सपने,देश परदेश, वारंट, लूटमार जैसे सफल फिल्मों में सदाबहार रहे। देव आनंद को urban hero माना जाता था। अपने पूरे केरियर में देव आनंद ने कभी भी ग्रामीण परिवेश को नही अपनाया।
    उम्र के उत्तरार्द्ध में वे दो फिल्म का लेखन, तीन फिल्मों के निर्माता बने और सत्रह फिल्मों का निर्देशन किया। इनमें से केवल दो देश परदेश औऱ हरे राम हरे कृष्ण को ही सफलता मिली। वे इस दौर में सफलता असफलता के मापदंड से बाहर आकर केवल व्यस्त रहने के दौर में रहे। उनकी ये जीवटता ही थी कि वे शरीर से जर्जर होने के बावजूद मस्तिष्क से कुशाग्र थे। बस, परेशानी ये थी कि वे समय की गति भांप नही पा रहे थे।
    एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी दुविधा यही रहती है कि वह यह समझ नही पाता है कि वक़्त साथ नही चलता है बल्कि पीछे छोड़ देता है। देव आनंद बर्बादियों का जश्न मनाते चले गए शायद उन्हें बर्बादियों का जश्न मनाना ही कबूल था। इसका एक उदाहरण है कि 1965 में”ज्वेल थीफ” के प्रीमियर में उनके पॉकेट से पंद्रह हजार रुपये से भरा पर्स निकाल लिया। उन्होंने बताया कि दर्शको की भीड़ औऱ प्यार की खुशी के सामने ये पैसे मायने नही रखते है।। देव आनंद ने एक युग का निर्माण किया। बेहतरीन अदाकारी दिखाई।समसामयिक विषयो पर फिल्म बना कर देश दुनियां की सरकारों का ध्यान आकृष्ट कराया। देव आनंद ने एक नसीहत तो अच्छी दी कि काम पसंद आदमी के लिए वक्त कटना परेशानी का सबब नही है

    Follow on Google News Follow on Flipboard
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Email Copy Link
    Sanjay Dubey
    • Website

    Related Posts

    नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है

    October 11, 2025

    Warships to Be Named After Chhattisgarh’s Rivers

    October 6, 2025

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

    October 1, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    Demo
    Top Posts

    भारतीय पत्रकारिता महोत्सव

    June 24, 2024261 Views

    Power struggle or policy stagnation?

    August 14, 2024127 Views

    Dushasan

    June 16, 2024109 Views

    भारतीय PRESS

    June 1, 2024106 Views
    Don't Miss

    नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है

    October 11, 20253 Mins Read1 Views

    नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है – ये गाना अमिताभ बच्चन की फिल्म…

    Warships to Be Named After Chhattisgarh’s Rivers

    October 6, 2025

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

    October 1, 2025

    हिंदी : राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा

    September 30, 2025
    Stay In Touch
    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from SmartMag about art & design.

    Demo
    About Us
    About Us

    भारतीय प्रेस – विचारो की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म है जो देश विदेश में रहने वालो के विचार लेखन के लिए अपनी जगह है। यहां न उम्र की सीमा है न जाति का बंधन है न ही लिंग भेद है, न धर्म का रोड़ा है।सबके हाथ में अगर कलम है तो उन्हें अभिव्यक्त होने का भी अधिकार है।

    Email Us: bharatiyapress@gmail.com
    Contact: +91 9109031157

    Facebook Instagram WhatsApp
    Our Picks

    नाबाद 83 के बिग बीजिंदगी इम्तिहान लेती है

    October 11, 2025

    Warships to Be Named After Chhattisgarh’s Rivers

    October 6, 2025

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

    October 1, 2025
    Most Popular

    सोरेन का अनर्गल प्रलाप निंदनीय है

    June 30, 20240 Views

    पिता की अहमियत

    July 25, 20240 Views

    हरमनप्रीत होंगे खेल रत्न!

    August 15, 20240 Views
    • होम
    • समाचार
    • लेखन
    • इल्मी-फिल्मी
    • तंदुरुस्ती
    • तकनीकी
    • हमारे बारे में
    © 2025 Mitaan India Media Pvt. Ltd. | All Rights Reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.