यह समय भारतीय भाषाओं का अमृतकाल : प्रो.संजय द्विवेदी
आईआईटी, खड़गपुर में आयोजित हुआ राजभाषा सम्मेलन
खड़गपुर (पश्चिम बंगाल)।
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में शीर्ष नेतृत्व ने हिंदी और भारतीय भाषाओं को बहुत बढ़ावा दिया है। सही मायनों में यह भारतीय भाषाओं का ‘अमृतकाल’ है। वे नगर राजभाषा क्रियान्वयन समिति द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर में गोस्वामी तुलसीदास और प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित राजभाषा सम्मेलन को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों में भाषा को लेकर हीनता का भाव खत्म हो रहा है। इन दिनों भारत सरकार के सभी कार्यक्रमों में हिंदी का बोलबाला है।
सम्मेलन में आईआईटी के कुलसचिव कैप्टन अमित जैन , बड़ा बाजार कुमारसभा पुस्तकालय, कोलकाता के पूर्व अध्यक्ष डा.प्रेमशंकर त्रिपाठी, हिंदी लेखक प्रो. पंकज शाहा, सन्मार्ग के साहित्य संपादक श्री ओमप्रकाश मिश्र, आईआईटी के राजभाषा प्रभाग वरिष्ठ हिंदी अधिकारी डा.राजीव कुमार रावत सहभागी रहे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रो.द्विवेदी ने कहा कि हमें इस भ्रम को दूर करने की जरुरत है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है। भारत में बोली जाने वाली सभी भाषाएं राष्ट्रभाषाएं हैं। हिंदी राजभाषा है, इसका किसी से कोई विरोध नहीं है। बहुभाषिक होना, भारत का गुण है। हमारे देश में सभी लोग सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में शत प्रतिशत हिंदी के उपयोग को लेकर कानून है। लेकिन, ये एक ऐसा कानून है, जिसे हर रोज तोड़ा जाता है। उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने आए राजभाषा अधिकारियों और विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने कामकाज में हिंदी और भारतीय भाषाओं का अधिक से अधिक उपयोग करें।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आत्मविश्वास के साथ हिंदी और भारतीय भाषाएं बोलिए। आत्मविश्वास के साथ हिंदी लिखिए। जो जिस क्षेत्र, जिस राज्य में रहता है, वो वहां की प्रचलित हिंदी बोलता है। हमें अपनी भाषा को लेकर न शर्म महसूस करनी चाहिए और न ही इसके इस्तेमाल से डरना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक के विकास ने हमारे लिए एक-दूसरे से जुड़ना बहुत आसान कर दिया है। आज हम ऑप्टिकल फाइबर के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ गए हैं। अब हम दूसरे देशों को प्रौद्योगिकी और संचार उपकरण निर्यात करते हैं। इस विकास से हिंदी के उपयोग और लोकप्रियता को बढ़ावा मिला है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2047 में जब भारत स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, तो तकनीक की मदद से हम अपने शत-प्रतिशत कार्य हिंदी और भारतीय भाषाओ में करने में सक्षम होंगे।
कार्यक्रम में स्कूल विद्यार्थियों के लिए लिखित प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी, जिसमें 550 से अधिक विद्यार्थी सहभागी रहे। इस मौके पर कलाकार श्री कुश शर्मा ने अतिथियों को उनके चित्र भेंट किए।