बर्मिंघम में जीत के मायने 32टेस्ट में खेलने का अनुभव लिए शुभमन गिल को विदेश में जाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी सौंपी गई थी।इस पर चिंता इस बात को लेकर थी कि जडेजा, बुमराह और के एल राहुल को छोड़ कर टीम में नए में नए नवेले और अनुभवहीन खिलाड़ी है। पहले टेस्ट में हारने पर थोड़ी चिंता भी हुई कि कही ऐसा ही खेले तो इंग्लैंड की संतुलित और अनुभवी टीम पांच टेस्ट में पानी पिला देगी। सबसे बड़ी चिंता बॉलिंग को ले कर थी। अकेले कमान सम्हालने वाले बुमराह के रहते इंग्लिश बैट्समैन जीत के मुहाने से हमसे जीत चुरा ले गए थे। दूसरा ये कि बुमराह फिटनेस के समस्या से गुजर रहे है। अब और भविष्य में वे पूरी श्रृंखला खेल नहीं सकते।ऐसे में ये भी तय था कि बर्मिंघम में बिना बुमराह खेलना होगा, खेले भी और बेफिक्री की बात बिना बुमराह जीते भी। सिराज, जो पहले टेस्ट में रिदम पाने की तलाश में थे,शायद बुमराह के न होने पर जिम्मेदारी के बोझ को समझे और पहली पारी में इंग्लैंड के बैट्समैंस को अपने ग्रिप में रखे रहे। सिराज को आकाश का साथ भी मिला और दोनों ने मिलकर इंग्लैंड के बैट्समैंस को मुसीबत में ही रखा।कप्तान शुभमन गिल ने पहली पारी में शानदार ,संयमित पारी खेलते हुए दोहरा शतक लगाया। उन्हें रविन्द्र जडेजा का साथ दोनों पारियों में मिला।दूसरी पारी में भी शुभमन गिल ने शतकीय पारी खेल कर, दुनियां के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट की दोनों पारियों में दोहराशतक और शतक लगाने वाले दसवें बल्लेबाज बन गए। भारत में ऐसी उपलब्धि केवल सुनील गावस्कर के पास है। सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 124और 220रन की पारी खेली थी। शुभमन गिल ने इससे आगे बढ़कर 269और 161रन की पारी खेली । यही स्कोर इंग्लैंड के हार का कारण बना और ये भी तय कर दिया कि जीत तो नहीं सकोगे। आकाशदीप में दोनों ही पारी मिलाकर आधी इंग्लैंड टीम को चलता किया। इंग्लैंड के डकेट और पॉप दोनों पारियों में आकाशदीप के शिकार बने। इंग्लैंड के कप्तान बैन स्टोक्स को वॉशिंगटन सुंदर ने दोनों पारियों में पैवेलियन का रास्ता दिखाया। मोहम्मद सिराज ने पहली पारी में आकाशदीप का साथ दिया और इंग्लैंड पर जो दबाव बनाया वो दूसरी पारी में काम आया। बर्मिंघम में भारत की जीत की बुनियाद रखने में कप्तान शुभमन गिल और रविन्द्र जडेजा की दोनों पारियों में शानदार भागेदारी के अलग मायने है। टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी के रूप में रविन्द्र जडेजा ने टीम के मांग पर दो उपयोगी पारी खेली।कप्तान शुभमन गिल को खेलते देख लगता है कि कप्तानी ने उनको और भी जिम्मेदार बना दिया है। दो टेस्ट में एक दोहरा शतक और शतक उनकी परिपक्व बैटिंग को दिखाती है। भारत के लिए सबसे अच्छी बात ये रही कि बुमराह के बिना इंग्लैंड की जिम्मेदार बैटिंग फॉर्मेट को तोड़ने में भारतीय बॉलर्स सफल रहे।अब सीरीज के तीन टेस्ट बचे है।लॉर्ड्स में एक बार फिर बढ़त के लिए दोनों टीम उतरेंगी। इस बार इंग्लैंड को बुमराह से भी निपटना पड़ेगा। अगले टेस्ट में एक बैटर और एक बॉलर नया हो सकता है। करुण नायर और प्रसिद्ध कृष्णा को लॉर्ड्स में बाहर बैठना पड़ सकता है। साईं सुदर्शन की वापसी संभव है
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