क्रिकेट में “डक” याने जीरो
देश दुनियां में भारत का नाम एक ऐसे आविष्कार के लिए जाना जाता है जिसके चलते दशमलव सिद्धांत जन्म लिया। 476- 550ईसवी के बीच आर्यभट्ट ने “शून्य”(zero) का दशमलव सिद्धांत में आविष्कार किया। इसके चलते गणितीय आंकलन में सौ फीसदी गणना संभव हो सका। 1970में एक फिल्म आई थी – पूरब और पश्चिम, अशोक श्रीवास्तव का एक गाना बड़ा चर्चित रहा – जब जीरो दिया मेरे भारत ने , मेरे भारत ने, दुनियां को तब गिनती आई, दुनियां को तब गिनती आई, तारों की भाषा भारत ने दुनियां को पहले सिखलाई देता न दशमलव भारत तो यूं चांद पर जाना मुश्किल था,अंदाज लगाना मुश्किल था। बहरहाल ये जीरो महिमा सर्वत्र है।क्रिकेट की दुनियां में जीरो में आउट होने वालो का भी अपना अनोखा रिकॉर्ड है।
आजकल क्रिकेट तीन फार्मेट में खेला जाता है। टेस्ट,वन डे और टी ट्वेंटी।टेस्ट की शुरुआत 1877से हुई लेकिन टेस्ट मैच के पहले ही बॉल में आउट करने मे तीस साल गुजर गए। 1907 में इंग्लैंड के ओपनर ए सी मैकलर्न को ऑस्ट्रेलिया के बॉलर ने पहले ही बॉल में आउट कर दिया। 148साल गुजर गए टेस्ट में ऐसे 35अवसर आए जब प्रतिद्वंदी टीम का ओपनर पहली ही बॉल में चलता कर दिया गया। इस प्रकार की बॉल को ” रॉयल या प्लेटिनम डक” कहा जाता है। अगर नॉन स्ट्राइकर पहली बाल में रन आउट हो जाए तो इसे डायमंड डक कहते है।
किसी भी बॉलर के द्वारा अपने करियर के पहले ओवर की पहली बॉल में विकेट लेना गोल्डन डक कहा जाता है। अब तक 25बॉलर्स ने टेस्ट में ये उपलब्धि हासिल की है इसमें भारत के एन एम कुलकर्णी शामिल है जिन्होंने श्री लंका के मार्विन अट्टापट्टू को आउट किया था।
रॉयल या प्लेटिनम डक के सर्वाधिक शिकार भारत के सुनील गावस्कर और बंगला देश के हनन सरकार हुए है। ये दोनों तीन तीन बार टेस्ट मैच की पहली बाल में बॉलर के द्वारा आउट कर दिए गए। हनन सरकार तो और अनोखे निकले वे एक ही बॉलर वेस्ट इंडीज के पेट कॉलिन के सामने तीन बार पहली बाल में आउट हो गए। दुनियां में केवल छह बॉलर्स ऐसे है जिन्होंने दो दो बार टेस्ट में गोल्डन डक हासिल किया है। ज्योफ्री अर्नाल्ड(इंग्लैंड) रिचर्ड हेडली(न्यूजीलैंड) कपिल देव (भारत), पेट कॉलिंस(वेस्ट इंडीज ) आर अकमल(पाकिस्तान) और माइकल स्टार्क(ऑस्ट्रेलिया) ने अपने नाम ये रिकॉर्ड रखा है। भारत के तीन बैट्समैन सुनील गावस्कर, डब्ल्यू बी रमन,और यशस्वी जायसवाल महान विभूति है। तीन बैट्समैन एस जे कुक (दक्षिण अफ्रीका), गैरिक (वेस्ट इंडीज) और अब्दुल मालिक ( पाकिस्तान) ऐसे है जो अपने जीवन के पहले टेस्ट के पहली बॉल में आउट हो गए। जे कुक को भारत के कपिल देव ने आउट किया था। टेस्ट में कोई भी बैट्समैन पहली बॉल में रन आउट नहीं हुआ है याने डायमंड डक की प्रतीक्षा है।
वन डे की शुरुआत 1971से हुई । पांच दिन के बजाय एक दिन के(60 ओवर्स होने पर दो दिन) के वन डे में 166अवसर आए है जब बॉलर की बॉल के सामने बैट्समैन असहाय दिखे और उनके पास विकेट खोने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इंग्लैंड के बैरी वुड वन डे मैच में पहले शिकार हुए उनको वेस्टइंडीज के एंडी रॉबर्ड्स ने आउट कर लिस्ट बनाने का काम शुरू किया। 54साल में 157 बैट्समैन (पहली पारी में90,दूसरी पारी में 77 बैट्समैन ) रॉयल या प्लेटिनम डक बने है। वन डे में न्यूजीलैंड के जॉन राइट दो वाइड बाल के बाद आउट हुए, श्रीलंका के चमिंडा वास ने गोल्डन हैट्रिक बनाई 2002- 03में बांग्लादेश के तीन बैट्समैन को पहले ओवरकी तीन बॉल में आउट किया यही नहीं पांचवें बॉल में एक और विकेट भी लिया।
34बॉलर्स ने अपने पहले ओवर की पहली बॉल में गोल्डन विकेट लिया है। भारत के भुनेश्वर कुमार सहित वेस्ट इंडीज के क्लाइव लॉयड और पाकिस्तान के इंजमाम उल हक इस श्रेणी में शामिल है।
रमीज राजा(पाकिस्तान) और डेसमंस हैंस (वेस्ट इंडीज) एक ही वनडे के दोनों पारियों में रॉयल या प्लेटिनम डक में आउट हुए है। वन डे में सात बैट्समैन ऐसे है जो पहले ही बॉल में रन आउट हुए है। इमरान नजीर(पाकिस्तान), एस मेटसिंकेन्यारी ( जिम्बाब्वे), मो इकबाल(कनाडा), सईद अनवर(पाकिस्तान), मोड़नोड़ो (जिम्बाब्वे),सनथ जयसूर्या (श्रीलंका), जर्सी राइडर (न्यूजीलैंड),ऐसे बैट्समैन है । भारत के विरेंदर सहवाग तीन बार सौरव गांगुली दो बार और के श्रीकांत और मनोज प्रभाकर एक एक बार प्लेटिनम डक बने है।
टी ट्वेंटी की शुरुआत 2004मेंहुई। 2008में कनाडा के अब्दुल मुल्ला को जिम्बाब्वे के चिंगुमुड़ा की पहली बाल में आउट हुए थे। अब तक 103 बैट्समैन रॉयल या प्लेटिनम डक बने है जिसमें
भारत के के एल राहुल, रोहित शर्मा और पृथ्वी शॉ शामिल है।
डक (duck) की कहानी भी अपने आप में अनोखी है। ऑस्ट्रेलिया में 1985में बेंसन एंड हेजेज वन डे टूर्नामेंट हुआ था। सुनील गावस्कर के नेतृत्व में भारत विजेता बना था। इस टूर्नामेंट के सीधे प्रसारण में जो भी बल्लेबाज जीरो में आउट होता ,टेलीविजन स्क्रीन में एक बत्तख (duck) आगे आगे अंडा देते चलता था। पाकिस्तान के एक बैट्समैन ने बैट को उल्टा कर इस डक को गोली मारने का अभिनय भी किया था। ” डक” एक पर्याय बन गया है। क्रिकेट में डक भी कई प्रकार के होते है।
*जीरो पर आउट होने पर कितना नुकसान हो जाता है इसका महत्व क्रिकेट के सर्वकालीन महानतम बैट्समैन डॉन ब्रैडमैन से समझा जा सकता है। 1948 में ब्रैडमैन ने संन्यास लेने की घोषणा कर इंग्लैड के खिलाफ उतरे। इस टेस्ट से पहले उनका टेस्ट में रन एवरेज101.39रन प्रति टेस्ट था लेकिन वे पहली पारी मे इंग्लैंड के एरिक होलिस की बॉल में जीरो में आउट हो गए। टेस्ट ने सौ का औसत बनाने के लिए अगली पारी में 104रन की जरूरत थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया पारी से जीत गया और ब्रैडमैन का औसत 99.96 रह गया।
*1986में भारत वि ऑस्ट्रेलिया के मैच में टेस्ट जीतने के लिए एक रन चाहिए था। मनिंदर सिंह अंतिम विकेट के रूप में आए लेकिन बिना कोई रन बनाए जीरो में आउट हो गए। टेस्ट इतिहास में ये दूसरा टाई टेस्ट था।
*किंग पेयर, या सिल्वर डक, एक ही टेस्ट की दोनों पारियों में पहली बॉल में आउट होने को कहा जाता है । 1992में ऑस्ट्रेलिया के मार्क वाँ दोनों पारियों में पहली बाल में आउट हुए। इस प्रकार के आउट होने बैट्समैन के द्वारा शून्य का चश्मा(zero spectacles) पहनना कहा जाता है।
*किसी एक बल्लेबाज का लगातार तीन बार पहली बॉल में आउट होना ब्रॉन्ज डक कहलाता है। चार बार आउट होने वाले को ऑडी कहा जाता है। ऑडी कार के मोनो में चार जीरो एक दूसरे से जुड़े है।
*पांच बार जीरो में आउट होने वाले (इसमें पहली बॉल शामिल न होकर किसी भी बॉल में आउट होना है) को ओलंपियन कहा जाता है। भारत के अजीत आगरकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच बार जीरो में आउट होकर ये उपलब्धि हासिल किए है। अजीत आगरकर को “बॉम्बे डक” भी कहा जाता है। उनके अलावा इंग्लैंड आर जे हॉलैंड और मोहमद आसिफ (पाकिस्तान)भी टेस्ट में पांच बार जीरो में आउट हुए है।
*टेस्ट में लगातार चार बार जीरो में आउट होने वाले जिन्हें आड़ी कहा जाता है ।इसमें आर पील (इंग्लैंड),आर जे क्रिप्स( साउथ अफ्रीका), प्रणव राय(भारत), मिलर (न्यूजीलैंड), आर वी देसाई(भारत), डब्ल्यू क्लार्क( ऑस्ट्रेलिया), पोकॉक( दक्षिण अफ्रीका) फोस्टर(इंग्लैंड) शामिल है।
- क्लब क्रिकेट में 1993और 2016में ऐसा भी हुआ है कि पूरी टीम के बैट्समैन खाता नहीं खोल सके और पूरी टीम का स्कोर जीरो था। 1993में
- ग्लासटनबरी विरुद्ध लेंगपोर्ट्स के बीच खेले मैच और 2016 में बेपचाइल्ड वि क्राइस्टचर्च क्लब के मैच में भी पूरी टीम जीरो पर आउट हो गई थी।