करोड़पति होंगे खिलाड़ी! छत्तीसगढ़ का कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक खेलो( ग्रामीण ओलंपिक नहीं) में गोल्ड, सिल्वर या ब्रॉन्ज मैडल जीतेगा तो राज्य सरकार नगद राशि के रूप में तीन,दो,एक करोड़ रुपए देगी।ये घोषणा हो गई है। राज्य के अनेक प्रतिभाशाली खिलाड़ी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस शासन के पांच पांच साल बिना उत्कृष्ट खिलाड़ी बने सरकारी सेवा की अधिकतम उम्र सीमा पार कर चुके है। उनके लिए उत्कृष्ट खिलाड़ी होना मायने नहीं रखता है। ऐसे खिलाड़ी जिनकी आयु सरकारी सेवा के लिए शेष है उनके लिए अभी भी केवल “इंतजार” शब्द दिख रहा है। राजनैतिक दल की इच्छा शक्ति को गति देने का काम संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों का होता है। दस साल तक खेल संचालनालय के शीर्ष पर अधिकारी आते रहे जाते रहे लेकिन हर अधिकारी अपने कार्यकाल में एक साल भी राज्य के ऐसे खिलाड़ी जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करते रहे उनकी परवाह नहीं किए। खेल विभाग के मंत्रियों ने भी न तो जानने की कोशिश की और न ही पहल किया । खिलाड़ी जो अक्सर पढ़ाई में कमजोर होते है और केवल खेल में प्रदर्शन के बल पर सरकारी नौकरी की उम्मीद करते है उनके उम्मीदों पर एक दशक तक पानी फेर दिया गया है। देश में खेल को प्रोत्साहित करने के लिए देश को हॉकी खेल में गोल्ड मेडल दिलाने वाले जादूगर ध्यान चंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार नाम दिया गया।लगभग हर साल 29 अगस्त को देश और राज्यो में खेल अलंकरण पुरस्कार का वितरण शुरू हुआ।इसमें छत्तीसगढ़ राज्य इकलौता राज्य होगा जहां 29अगस्त को शायद ही खेल अलंकरण पुरस्कार वितरण हुआ होगा। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के दो मुख्यमंत्री यशस्वी डा रमन सिंह और भूपेश बघेल का दो कार्यकाल चला गया। इतने सालों में केवल आकर्षि कश्यप को सरकार ने सरकारी नौकरी दे पाई है और इतने ही साल सैकड़ों विलक्षण खिलाड़ी के लिए भी योग्य होते हुए, अयोग्य हुए मारे मारे फिर रहे है। कोई पुरस्कार किसी योग्य व्यक्ति को जब दिया जाता है तो इससे दोहरी प्रेरणा मिलती है। पहला योग्य व्यक्ति और योग्यता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है दूसरा अलंकृत व्यक्ति को देख कर अन्य लोग प्रयास शुरू करते है। इसे माहौल कहा जाता है। हमारे राज्य के संभावित अलंकृत होने वाले खिलाड़ी कभी साइंस कॉलेज तो कभी शंकर नगर तो कभी नया रायपुर की दौड़ लगा रहे है वो भी नौ साल से? मिल्खा सिंह, खेल जगत के बहुत बड़े नाम है, उन्होंने अर्जुन पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था।इसका कारण था कि उनको सही समय पर अर्जुन पुरस्कार नहीं दिया गया था। देरी के चलते पुरस्कार न लेने की ऐसी स्थिति अगर किसी को मिल्खा सिंह बना देती है।ये मिल्खा सिंह का नहीं, अर्जुन पुरस्कार का कद छोटा होना था। ओलंपिक खेलो में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व मेरी जानकारी में उंगलियों में गिनने लायक है। हॉकी में दुर्ग और एक रायगढ़ जिले से एक एक खिलाड़ी ही ओलंपिक खेल में संभवतः भाग लिए है। ऐसे में भारी भरकम पुरस्कार राशि(3,2,1 करोड़) के लिए खिलाड़ी मिलेगा मुश्किल है। बेहतर ये होता कि इस राशि को 1करोड़, 75लाख, 50लाख कर शेष 3.75करोड़ राशि को राज्य के खिलाड़ियों को नगद राशि देने की योजना बनाई जाती। ज्ञात रहे पैसा सब कुछ तो नहीं है लेकिन बहुत कुछ है।
Subscribe to Updates
Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.