कमजोर जिला रायपुर निर्वाचन विभाग
किसी राज्य की राजधानी उस राज्य का देश विदेश में प्रतिनिधित्व करती है।अच्छे में भी बुरे में भी।इस बार अच्छे के बजाय बुरे रूप में रायपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी का कामकाज रहा। उनके लापरवाही के चलते रायपुर नगर निगम का मतदान प्रतिशत कमजोर रहा। इसका खामियाजा उन प्रत्याशियों को उठाना पड़ेगा जो बहुत कम मतों के अंतर से पराजित होंगे। उन्हें अनेक कारणों से उच्च न्यायालय के शरण में जाने और लाभ मिलने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

रायपुर नगर निगम क्षेत्र के सत्तर वार्डो में महापौर और पार्षदों के लिए मतदान हुआ। अभी तक के आंकलन के अनुसार साढ़े दस लाख मतदाताओ में से पांच लाख मतदाताओं ने मत नहीं डाले।दूसरे शब्दो मे ये भी कहा जा सकता है कि मतदाता सूची, अल्फाबेट और फोटो युक्त मतदाता सूची के अलावा एक ऐप भी उपलब्ध कराया गया था जिसमें मतदाताओं की सूची उपलब्ध थी। एपिक नंबर के अनुसार इसमें मतदाता अपने वार्ड में मतदान केंद्र की जानकारी प्राप्त कर सकता था।

मै अपना ही उदाहरण दे रहा हूं। विधान सभा और लोकसभा चुनाव में मै दिन दयाल उपाध्याय नगर वार्ड क्रमांक 41का मतदाता था। रविशंकर विश्व विद्यालय के कक्ष क्रमांक 2 में मेरे द्वारा मतदान किया गया था।
रायपुर के सत्तर वार्डो का परिसीमन किया गया जिसके कारण दिन दयाल उपाध्याय नगर वार्ड क्रमांक 40हो गया।
इस वार्ड में चार मतदान केंद्र थे सुबह से सारे केंद्रों में संपर्क करने पर मतदाता नाम सूची और एप में वार्ड के मतदाता होने की जानकारी नहीं मिली। चार घंटे बर्बाद हो गए। मेरे जैसे अनेक मतदाता भटक रहे थे और जानकारी न मिलने पर वे घर लौट गए।

मैने जिला निर्वाचन कार्यालय से जानकारी निकलवाई तो मेरा नाम वार्ड नंबर 22 में उपलब्ध मिला। मुझे चाहकर भी अपने वार्ड पार्षद के लिए मतदान का अवसर नहीं मिला और जिला निर्वाचन कार्यालय के लापरवाही के चलते वार्ड नंबर 22के पार्षद के लिए मतदान करना पड़ा।जो भी प्रत्याशी जीतेगा वह मेरे वार्ड का पार्षद नहीं होगा। ऐसे ही लाखों मतदाता मतदाता सूची के संशोधन में लापरवाही के चलते मतदान से वंचित हो गए।जब राजधानी में ये हाल है तो जिन जिन नगरीय निकायों में परिसीमन हुआ है वहां क्या आलम होगा? इसके अलावा अनेक मतदाताओं के एक से अधिक वार्ड में नाम थे जिसके चलते भ्रम की स्थिति खड़ी हुई। उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि उन्हें किस वार्ड में मतदान करना है।
छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी को राजधानी में हुए मतदाता सूची में की गई लापरवाही को संज्ञान में लेते हुए ऐसे लापरवाह जिला निर्वाचन अधिकारी को तत्काल हटा देना चाहिए।

इस बार जिला निर्वाचन कार्यालय से मतदाता पर्ची का वितरण नहीं किया गया।जिसके चलते अधिकांश मतदाता प्रभावित हुए है। उनको अपने वार्ड के स्थान पर अन्य वार्ड के प्रत्याशी को मन मार के मत देना पड़ा।
रायपुर नगर निगम के महापौर और वार्ड पार्षद के प्रत्याशियों को जिला निर्वाचन कार्यालय में आपत्ति दर्ज कराना चाहिए क्योंकि उनको लाखों हजारों मतों से वंचित होना पड़ा जो उनकी सशक्त जीत को रेखांकित करती।
-उपरोक्त विचार स्वयं लेखक के हैं|

