अरविंद का झाड़ू और भाजपा का कमल
हिंदी साहित्य में “पर्यायवाची”एक विषय है। जिसमें एक शब्द के अनेक नाम होते हुए उनके अर्थ समान होते है। कमल फूल है।इसका पर्यायवाची है, अरविंद, पंकज, सरोज,जलज,नीरज, अंबुज, नलिन, उत्पल,पुंडरीक और तामरस। चूंकि बात राजनीति से जुड़ी है इसलिए कमल और अरविंद की बात हो।
कमल,कीचड़ में खिलता है ये शाश्वत सत्य है।अरविंद केजरीवाल भी 2013 में एक ऐसे आंदोलन के देन थे जिसके चलते देश के राजनीति में भ्रष्ट राज नेताओं की घिग्घी बंध गई थी। अन्ना हजारे का ये आंदोलन शुचिता की राजनीति का आगाज था। लोकपाल कानून बनाने के लिए आंदोलन को दबाने के लिए देश के नेताओं नेआंदोलनकारियो से पूछा था we the people कहने वालों कौन हो तुम याने who the people?

देश के लोगों को एक उम्मीद जगी थी कि अन्ना हजारे देश को दिशा देंगे।राजनीति से सरोकार रखने वाले घाघ नेताओं ने चुनौती दी थी।हमसे मुकाबला करना है तो जन प्रतिनिधि बन कर दिखाओ।वैसे भी देश में जय प्रकाश नारायण ने परिवर्तन का बीड़ा उठाया था तब मुलायम सिंह,लालू प्रसाद यादव,नीतीश कुमार जैसे नायकों का उदय हुआ था।ये सभी राष्ट्रीय राजनीति में आए और पलट कर अपने राज्य में भी सफल रहे।अरविंद केजरीवाल ने भी राजनीति से सरोकार रखने वालों की चुनौती को स्वीकार किया।अन्ना हजारे की बात वैसे ही खारिज किया जैसे कांग्रेस ने गांधी जी की बात को खारिज किया था कि कांग्रेस को खत्म कर दिया जाना चाहिए।
शुरुआती दौर में आम आदमी पार्टी के रूप में राजनीति के कीचड़ में अरविंद केजरीवाल से कथनी और करनी में समानता की उम्मीद जगी। आई आई टी खड़कपुर का प्रोडक्ट, अखिल भारतीय राजस्व सेवा से आयकर विभाग में एक ईमानदार अधिकारी था,जल में रह कर मगर से बैर रखने वाले अरविंद केजरीवाल से देश ने कोई गलत उम्मीद नहीं की थी।
देश की राजनीति का अपना एक चरित्र है,ईमानदारी यहां चल नहीं सकती है,बेइमानी के आगोश में हर राजनैतिक दल आ ही जाता है।सत्ता में आते ही चाल चेहरा और चरित्र बदल जाता है।नेतृत्व के ईमानदार होने से दल ईमानदार नहीं होता। केंद्र और राज्य में एक ही दल के चरित्र में फर्क दिखता है।
शुरुआती दौर में या कहे पूर्ण बहुमत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कुछ काम अच्छे किए थे जिसे हर राज्य के मुख्य मंत्रियों को स्वीकारना पड़ा। दिल्ली में स्वास्थ्य,शिक्षा और जल प्रदाय के नाम पर जो उत्कृष्ट कार्य किया वे आज भी सराहनीय है।सरकारी स्कूलों की स्थिति आंग्ल स्कूलों के सामने दयनीय हो चली थी लेकिन अरविंद केजरीवाल की सरकार ने मिसाल कायम की। छत्तीसगढ़ में आत्मानंद आंग्ल स्कूल दिल्ली की नकल ही है।दिल्ली की मोहल्ला क्लिनिक योजना ने हर राज्य में मजबूर किया और इससे देश के लोगों को चलता फिरता अस्पताल मिला। दिल्ली में पानी माफिया बड़े पैमाने पर काम करता था।इस माफिया को अरविंद केजरीवाल ने खत्म कर आम आदमी के घर में पानी पहुंचाया।प्रधान मंत्री की जल जीवनयोजना, इसी सफल कार्य की परिणीति है। दिल्ली में सड़कों पर छोटे रोजगार करने और ऑटो टैक्सी वालों को हफ्ता वसूली से मुक्ति दिलाकर अरविंद केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में मजबूत हो गई
अरविंद केजरीवाल का तीसरा कार्यकाल बड़ी जीत के बाद की अवधि कथनी और करनी के अंतर को बतलाने वाला रहा। उन्होंने जो जो कहा उसके विपरीत कार्य करने का जो काम किया वो उनके लिए
इस चुनाव में भारी पड़ गया।
कट्टर ईमानदार कहलाने वाले आप पार्टी के दो बड़े नेता अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में फंस गए।वैसे भी शराब,हर राजनैतिक दलों के लिए तात्कालिक पैसे जुगाड करने वाला साधन है। छत्तीसगढ़,झारखंड की पूर्ववर्ती सरकार भी इसी तरीके का जोखिम मोल लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी के रडार में है।
सरकारी सेवा सुविधा से परहेज का ढोंग करने वाले अरविंद केजरीवाल महंगी कार, आलीशान आवास में रह कर करनी में फर्क बता दिए। जनता के द्वारा ईमानदार सिद्ध होने पर पुनः दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के दावे को जनता ने झुठला दिया।अरविंद केजरीवाल को अब ये मानने की मजबूरी है कि उन्हें जनता ने ईमानदार नहीं माना है।
अरविंद केजरीवाल चाहते तो दिल्ली के माध्यम से देश को ईमानदार राजनीति का पाठ पढ़ा सकते थे लेकिन उन्हें देश की बेईमान राजनीति ने डस लिया। काजल की कोठरी से अरविंद केजरीवाल भी काले होकर निकले।राजनीति के कीचड़ में कमल खिल सकता है लेकिन वह प्रदूषित रहेगा,जहरीला रहेगा