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Author: Prof.(Dr.) Sanjay Dwivedi
नफरतों, कड़वाहटों और संवादहीनता का समय!
नफरतों, कड़वाहटों और संवादहीनता का समय! सार्थक संवाद की दृष्टि से निराशाजनक रहा लोकसभा का पहला सत्र भारतीय संसद अपनी गौरवशाली परंपराओं, विमर्शों और संवाद के लिए जानी जाती है। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लोकतांत्रिक बहसों को प्रोत्साहित किया और अपने प्रतिपक्ष के नेताओं डा.राममनोहर लोहिया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी,अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पीलू मोदी तक को मुग्ध भाव से सुना। राष्ट्र प्रेम ऐसा कि चीन युद्ध के बाद गणतंत्र दिवस की परेड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को आमंत्रित कर उनकी राष्ट्रभक्ति को सराहा। किंतु लोकसभा के प्रथम सत्र में जो कुछ हुआ,वह संवाद की धारा…
सामाजिक से राजनीति का सफल सफर का नाम “ओम बिरला”
ओम बिरला होने का मतलबसोने जैसे दिल वाला सामाजिक कार्यकर्ता कैसे बना राष्ट्रीय राजनीति का सितारा ओम बिरला में ऐसा क्या है जो उन्हें लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी पर पहुंचाता है। अपने कोटा शहर में जरूरतमंद लोगों को कपड़े, दवाएं, भोजन पहुंचाते-पहुंचाते बिरला कब राष्ट्रीय राजनीति के सितारे बन गए, यह एक अद्भुत कहानी है। प्रधानमंत्री ने सदन में उनके द्वारा चलाए जा रहे अनेक सामाजिक कार्यों की चर्चा की। उनकी सरलता,सहजता और सदन चलाने की उनकी क्षमताएं प्रमाणित हैं। अब जब वे ध्वनिमत से लोकसभा के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं, तब उन पर…