भाजपा मिलर्स, गैर भाजपा मिलर्स
विभाजन करो और शासन करो, अंग्रेजो की वह नीति है जिसे जहां चाहो जब चाहो अमल कर लो। नतीजा कुछ न कुछ तो निकलेगा ही। एकता टूटने का मतलब किसी भी संघ में एकता नहीं है, इसका संदेश बाहर जाता है। राइस मिलर्स कभी एका में सेंधमारी हो गई है। चार मंत्री मिलकर हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दिए
एक तस्वीर आम हुई है समाचार पत्रों में, मंत्री ,अधिकारी की संख्या राइस मिलर्स की तुलना में एक कोने में है। जाहिर है सरकारी प्रयास है तो माइलेज तो मिलेगा ही। दूसरी तरफ प्रदेश राइस मिलर्स संघ के अध्यक्ष ने साफतौर पर कहा है कि मांग पर सहमति बनने के बाद वादा खिलाफी हुई है इस कारण हड़ताल खत्म नहीं हुई है।
साधारण शब्दों में कहे तो हर धान खरीदी सत्र में राइस मिलर्स का पंजीयन होता है, इसके बाद अनुबंध होता है, सौ फीसदी बैंक गारंटी जमा कराई जाती है।इसके बाद धान उठाने के लिए मात्रा और समिति तय होती है।
संघ की माने तो ज्यादातर राइस मिलर्स ने पंजीयन नहीं कराया है। जिन्होंने करा लिया है उन्होंने अनुबंध नहीं किया है। कहने का मतलब है कि सरकार जैसा चाह रही है वैसा नहीं हो रहा है। जैसे जैसे धान खरीदी की तारीख बढ़ रही है। धान खरीदी केंद्र में किसानों से आगे धान खरीदी में मुश्किल आयेगी ही। सरकार समिति से धान उठाकर संग्रहण केंद्रों में रखवाने का विकल्प खोज सकती है।इसका अर्थ है परिवहन का अतिरिक्त भार और धान की मात्रा में कमी और सूखत। ये नुकसान अरबों रुपए का होता है।जिसे पूर्ववर्ती सरकार ने शून्य कर रहा था।राइस मिलर्स को 120रुपए क्विंटल मिलिंग चार्ज देकर।इसे वर्तमान सरकार ने घटा कर 60रुपए कर दिया है। ये भी जग जाहिर है कि अरबों की राशि का भुगतान बीते सालों का शेष है। भाजपा सरकार के लिए कांग्रेस शासनकाल का भुगतान सरदर्द है। करना तो पड़ेगा और न करने की स्थिति में असहयोग करना या अपनी जायज़ मांग करना कैसे असंवैधानिक हो सकता है?
सभी जानते है कि सरकार अपने पर आए तो अनेक विभाग खास कर जीएसटी, राजस्व, श्रम, मंडी, खाद्य,बिजली विभाग है जो मिलर्स पर दबाव बनाने के लिए सक्षम है ।इन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि प्रदेश के 95फीसदी राइस मिलर्स के पास सरकारी धान और चांवल होता है।इसे जप्त कर समाचार पत्रों में सुर्खिया बटोरी जा सकती है लेकिन सच खोखला है ये मानना पड़ेगा।
गुटबाजी की भी चर्चा जरूरी है। व्यापारी भी दलीय हो चले है। भले ही पीछे से सारी पार्टियों को चंदा देते रहे लेकिन पार्टी कार्यालय में घूमना, जन प्रतिनिधियों के साथ घूमना, फोटो खींचना शगल है। पार्टी के अलावा क्षेत्रीयता का भी मामला है। वैसे भी रायपुर बिलासपुर के बीच एक विभाजन रेखा है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव जी बिलासपुर का प्रतिनिधित्व करते ही है। इस कारण उन्होंने बीड़ा उठाया। रायपुर,धमतरी महासमुंद,दुर्ग,राजनांदगांव, बलौदाबाजार राइस मिल प्रमुख जिला है जिनकी कमान योगेश अग्रवाल करते है। ऐसे में मिलर्स के बीच फूट पड़ सकती है लेकिन सरकार से जिन राइस मिलर्स ने हड़ताल से हटने की बात कही है उनके बल पर प्रदेश के खरीदे जा रहे धान की मिलिंग करा लेगी? छोटे मिल वाले जिनकी क्षमता एक टन की होती है वे साल भर में अड़ततलीस हजार क्विंटल धान की मिलिंग कर सकते है