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    Home»Featured»पीयूष पांडे के शब्द खास हुआ करते थे विज्ञापन
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    पीयूष पांडे के शब्द खास हुआ करते थे विज्ञापन

    bharatiya press bureauBy bharatiya press bureauOctober 24, 2025Updated:October 24, 2025No Comments2 Mins Read22 Views
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    पीयूष पांडे के शब्द खास हुआ करते थे विज्ञापन, वह खिड़की है जो किसी उत्पाद को खरीदने के लिए क्रेता को उसकाती है -ऐसा माना जाता है। एक जमाने में केवल समाचार पत्र और पत्रिकाओं के माध्यम से वस्तुओं के बारे में जानकारी मिला करती थी। लिखे शब्दों से प्रचार होता था/है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने से शब्द बोले जाने लगे और यूं कहे कि शब्दों में जान आ गई।शब्दों की बात चली तो विज्ञापन जगत में एक बहु चर्चित नाम पीयूष पांडे का भी है ।आज पीयूष पांडे का निधन हो गया।

    पीयूष चर्चा में तब आए जब दूरदर्शन में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में बना विज्ञापन का गीत” मिले सुर मेरा तुम्हारा” प्रसारित हुआ। ये गीत लोगो के जुबान चढ़ा और पीयूष पांडे बड़े प्लेटफॉर्म के जादूगर माने जाने लगे।

    इलेक्ट्रानिक मीडिया में शुरुआती दौर में 90सेकंड के विज्ञापन आया करते थे जिनके लिए शब्द और जिन्जल बनाए जाते थे। समय सीमा 60,45और 30सेकंड होने पर नारा(slogan) की महत्ता बढ़ गई।पीयूष कम शब्दों में ज्यादा मारक लोक लुभावन नारे देकर प्रोडक्ट के प्रति क्रेता को खींचने में सफल होते गए। उन्हें एड गुरु का भी दर्जा मिला।यदि आपके जेहन में “कुछ खास है”, “हर घर कुछ कहता है”, “तोड़ो नहीं जोड़ो”, जैसे नारे सुन कर कैडबरी टॉफी, एशियन पेंट्स, फेविकोल खरीदने की विवशता हो जाए या फिर “अबकी बार मोदी सरकार” जैसा नारा सुन कर तीसरी बार मोदी की सरकार बनाने का मन हो गया तो मान लीजिए पीयूष पांडे की शब्दों में जादूगरी थी। उनके शब्दों को याद कर कह सकते है पीयूष पांडे कुछ खास ही थे|

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