अविभाजित मध्यप्रदेश और विभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुल जमा 40सीट में से कांग्रेस को एक सीट छत्तीसगढ़ की कोरबा मिली है। 39आउट ऑफ 40मार्क्स मिले है भारतीय जनता पार्टी को। इस जीत का फर्क भाजपा को पडा या नहीं पड़ा ये प्रश्न सारगत नही है। सारगत प्रश्न कांग्रेस के लिए है क्योंकि हिंदी पट्टी में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दो ऐसे राज्य है जिसमे कमलनाथ और भूपेश बघेल ने भाजपा से 2019में सत्ता छीनकर कांग्रेस को स्थापित किया था। मध्य प्रदेश में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया को हैंडल नहीं कर पाए सो कम समय में ही सत्ता से बाहर हो गए। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल पांच साल राज तो किए लेकिन घोटालों के मकड़जाल में ऐसे फंसे कि सत्ता हाथ से निकल गई।
2024लोकसभा चुनाव में 2019की तुलना में अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में दो सीट हार गए। 2019में मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा और छत्तीसगढ़ में कोरबा और बस्तर सीट कांग्रेस की पास थी। छिंदवाड़ा, कांग्रेस का अभेद किला था। 1952से लेकर2019तक में केवल सुंदर लाल पटवा ने कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ को पराजित किया था। 1977के सत्ता परिवर्तन की आंधी में भी छिंदवाड़ा से कांग्रेस के गार्गी शंकर मिश्र जीते थे। 1977में कांग्रेस 40में से 39सीट हार गई थी। कांग्रेस के इकलौते सीट के विजय पर अटल बिहारी वाजपेई ने टिप्पणी की थी सूना माथा अच्छा नहीं लगता है इसलिए एक बिंदी लग गई।विभाजित मध्य प्रदेश में 2019के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ जीते थे ।इस बार ये सीट भी निकल गई।
इस प्रकार की बुरी पराजय से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कांग्रेस संगठन को भारी धक्का लगा है क्योंकि छः महीने में दो राज्य के विधान सभा और लोक सभा चुनाव हार गए।
विवेक तंखा,कांग्रेस में बड़े चेहरे माने जाते हैं।उनका छत्तीसगढ़ आगमन हुआ। उन्होंने छत्तीसगढ़ में मोहन मरकाम के नेतृत्व का लोहा माना और बताया कि उनके कार्यकाल में उप चुनाव सहित निकाय चुनाव में अपेक्षित सफलता मिली थी । मोहन मरकाम को रायपुर में आयोजित कांग्रेस की राष्ट्रीय बैठक में रायपुर के महापौर के मनमानी के विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ा था। उनके स्थान पर दीपक बैंज अध्यक्ष बने। कहा जाता है की भूपेश बघेल टिकट वितरण में अपने आदमियों को रखना चाहते थे इस कारण अध्यक्ष बदला गया था। ये भी माना गया कि कांग्रेस में एक दूसरे को निपटाने के चक्कर में दुर्गति ज्यादा हुई।
विवेक तनखा का मानना है कि छत्तीसगढ़ सहित मध्य प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व कांग्रेस को स्थापित कर सकता है। इसके साथ साथ युवा नेतृत्व भी कार्यकर्ताओं में जोश का संचार कर सकता है। देश भर में 99के फेर में रहने वाली कांग्रेस का भविष्य आगे बेहतर है ऐसा विवेक तनख़ा का मानना है